Tuesday 31 December 2019

पहले हैं भाई Babulal Meena जी और दूसरे हैं युवा मित्र Devnath Nagavanshi Mulnivashi जी।

मेरी फेसबुक वाल के दो साथी ऐसे हैं, जिनके बारे में मुझे नहीं पता दोनों आपस में एक दूसरे से परिचित भी हैं या नहीं? मगर दोनों में एक समानता है—जनहित में अपनी बात पर अडिग रहना और वंचित समुदायों के हित में जो भी कहना है, उसे बिना लाग लपेट के निर्भीकतापूर्वक लिखना। बेशक कोई उनसे सहमत हो या नहीं, लेकिन सच को लिखने में संकोच नहीं करते। दोनों ही लोक सेवक हैं और दोनों ही सामाजिक न्याय के पेरोकार हैं। पहले सेवानिवृति के करीब हैं और दूसरे अभी युवा हैं। मगर इन दोनों का मेरी मित्रता सूची में बने रहना, मुझे अपने विचारों को बैलेंस करने के साथ-साथ इस बात की प्रेरणा देता भी है कि अन्य अनेक उन संजीदा मित्रों के साथ-साथ ये वो दो नाम हैं जो बेशक कितना ही संवेदनशील विषय हो, उस पर अपना मत ईमानदारी से अवश्य ही रखेंगे। एक बहुत बड़ी बात मैंने इन्हें कभी किसी को खुश करने हेतु/को लिखते हुए नहीं पढा। अभी इन दोनों के साथ मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत अधिक नजदीक नहीं हूं, लेकिन वैचारिक रूप से लगता है कि दोनों ही अपने आप में विशेष हैं। बेशक दोनों के विचार अभिव्यक्ति के तरीके में भिन्नता भी है। पहले हैं भाई Babulal Meena जी और दूसरे हैं युवा मित्र Devnath Nagavanshi Mulnivashi जी। इन दोनों के उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य की अनंत शुभकामनाएं। मुझे खुशी है कि आप ने मुझे अपनी मित्रता सूची में जगह दी हुई है। अभी तक के सार्वजनिक संवाद के मुझे उम्मीद है कि आप दोनों वंचित समुदायों की एकता हेतु संयुक्त विचारधारा तथा संयुक्त नेतृत्व की मुहिम के अग्रणी समर्थक सिद्ध होंगे और हम देशभर में दूसरों को भी इस बात के लिये सहमत करने में सफल होंगे।
-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, 9875066111, 31.12.2019.

वर्ष 2020 के लिये मेरी दिली कामना

वर्ष 2020 के लिये मेरी दिली कामना है कि MOST/वंचित समुदाय सकारात्मक रूप से इस तरह से एकजुट और सशक्त हो जाये कि उसके हकों को छीनने से पहले कोई भी 100 बार सोचे। मगर यह लिखने से कुछ नहीं होगा। MOST को एकजुट करना/होना होगा।-31.12.2019

Monday 30 December 2019

हमें मौलिकता को समझने की समझ पैदा करनी होगी।

हम सीखते कम और नकल अधिक करते हैं। जिनकी नकल करते हैं, उन्होंने भी किसी की नकल की हुई होती है। हमें मौलिकता को समझने की समझ पैदा करनी होगी। अन्यथा 70 साल से जारी भेड़चाल के साथ मनगढ़ंत शूद्रत्व के अंधकूप में गिरेंगे और मरेंगे।

Sunday 29 December 2019

हम शूद्र नहीं, बल्कि सभी भारत के सम्मानित नागरिक हैं

जिन मित्रों का मकसद संविधान को मटियामेट करके वंचितों को शूद्र बनाना तथा मनुस्मृति का प्रचार-प्रसार करना है, वे मुझे अनफ्रेंड कर सकते हैं। क्योंकि हम शूद्र नहीं, बल्कि सभी भारत के सम्मानित नागरिक हैं।-आदिवासी ताऊ 9875066111, 29.12.2019

दुकानदार नहीं, बल्कि हम, यानी ग्राहक ही दोषी हैं।

मेरी इच्छा के विरुद्ध कोई दुकानदार (मनुवादी, बामणवादी, गांधीवादी, हिंसावादी आदि) मुझे अपना उत्पाद नहीं बेच सकता। हकीकत में गलत उत्पाद या विचार ग्रहण करने के लिए दुकानदार नहीं, बल्कि हम, यानी ग्राहक ही दोषी हैं।-आदिवासी ताऊ, 29.12.19

MOST/वंचितों में सर्वस्वीकार्य एक ही समानता है-

MOST/वंचितों में सर्वस्वीकार्य एक ही समानता है-

"हम सब संवैधानिक हकों से वंचित हैं।"

क्या यह समानता एकता के लिये पर्याप्त नहीं है? जो शूद्रत्व और DNA जैसी मनगढ़ंत कहानियां गढ़ी जा रही हैं।
आदिवासी ताऊ, 29.12.2019

भोंकने वालों के सुर में सुर मिलना, भोंकने वालों को बढ़ावा देना ही है।

भोंकने वालों के सुर में सुर मिलना, भोंकने वालों को बढ़ावा देना ही है।-29.12.2019

जिन्हें देशद्रोही कहने में भी दिक्कत नहीं होनी चाहिये!

जिनके विचार स्वीकार नहीं, उनका अपमान क्यों? असहमति का दूसरा नाम ही तो लोकतंत्र है। असहमति को अपमानित करने वाले अलोकतांत्रिक और अंततः असंवैधानिक व्यवस्था के पोषक हैं। जिन्हें देशद्रोही कहने में भी दिक्कत नहीं होनी चाहिये!-आ. ताऊ-29.12.20119

सर्वस्वीकार्य सहमति के पुख्ता आधार तलाशने होंगे।

एक-दूसरे पर अपने विचार या नेतृत्व थोपे बिना MOST/वंचितों को एकता कायम करने वाले सर्वस्वीकार्य सहमति के पुख्ता आधार तलाशने होंगे। ताकि हम एकजुट होकर संवैधानिक हक हासिल कर सकें।-आदिवासी ताऊ, 29.12.2019, 9875066111

मे नही: ये शब्द किसी हिंदी शब्दकोष में किसी ने देखे-पढ़े हों तो बताने का कष्ट करें

मे नही: ये शब्द किसी हिंदी शब्दकोष में किसी ने देखे-पढ़े हों तो बताने का कष्ट करें। विशेष रूप से वे मित्र जो इनका उपयोग करते हैं।
-आदिवासी ताऊ 29.12.2019

Vijendra Singh Kohinoor जी अपूर्वाग्रही व्यक्तित्व के मालिक, जिनकी तथ्यों और विचाराभिव्यक्ति पर बारीक तथा गहरी पकड़ है।

Vijendra Singh Kohinoor जी अपूर्वाग्रही व्यक्तित्व के मालिक, जिनकी तथ्यों और विचाराभिव्यक्ति पर बारीक तथा गहरी पकड़ है। जो बिना जानें किसी तथ्य को कभी नहीं स्वीकारते, मगर संवाद तथा व्यवहार में शिष्टता, नम्रता, संयम, धैर्य, अनुशासन एवं समयबद्धतता, जिनके व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा है। युवा जोश के साथ-साथ, चीजों तथा हालातों की समझ के मामले में गहन परिपक्वता की झलक मिलती है।

डॉ. अम्बेड़कर के वैश्विक व्यक्तित्व की आड़ लेकर देशभर में संचालित ढोंग से पूरी तरह से मुक्त, किंतु एक सच्चे संविधानवादी और अम्बेड़करवादी व्यक्तित्व के भी धनि हैं। जो वंचितों/MOST के हितार्थ, जयकारे लगाने वाले अंधभक्तों, कट्टरपंथियों और बामणवादियों को खुले मन से सुनने, पढने तथा विमर्श करने को तत्पर और सहमत रहते हैं।

संविधान लागू होने के बाद भी हकों से वंचित, वंचित/MOST समुदायों के हितार्थ, हम वंचितों द्वारा प्रस्तावित एवं संचालित संयुक्त विचारधारा, संयुक्त नेतृत्व, सामूहिक योगदान, सामूहिक उत्तरदायित्व और संयुक्त निगरानी व्यवस्था के मुखर पेरोकार तथा सहयोगी हैं।

मेरा अनुभवजन्य मत है कि यदि हम वंचितों को देश में इंसाफ कायम करना है तो देशभर में ऐसे लोगों की तलाश कर, बड़ी टीम बनाना बहुत जरूरी है। आप वाकयी मेरी फेसबुक मित्रता सूची में ही नहीं, मेरे सोशल मीडिया के मित्रों की सूची के भी कोहीनूर हैं।

उम्मीद है, हम मिलकर संयुक्त विचारधारा और संयुक्त नेतृत्व की अवधारणा में आस्था तथा विश्वास रखने वाले देशभर के अपूर्वाग्रही लोगों को तलाश कर वंचित समुदायों के हित में मानसिक विभ्रमों को तोड़ने तथा संविधानसम्मत कारवां बनाने में अवश्य ही आगे बढेंगे और एक दिन सफल भी होंगे। आशीष और अनंत शुभकामनाएं।
-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, 9875066111, 29.12.2019.

फेसबुक मित्र अनीता मीणा जी को आशीष तथा शुभकामनाएं।

अध्यापन और प्रबंधन के साथ-साथ निर्भीक होकर संतुलित एवं सटीक लेखन। हर सामयिक तथा जरूरी विषय पर बेलाग अभिव्यक्ति। सीखने की असीम चाहत। बेजोड़ संगठक तथा सृजनशील। महिला अधिकारों के साथ-साथ समग्रता पूर्ण चिंतन तथा विमर्श को समर्पित। आकर्षक व्यक्तित्व की मालकिन मेरी फेसबुक मित्र अनीता मीणा जी को आशीष तथा शुभकामनाएं।-28.12.2019

वर्ष 2020 के लिए संकल्प सुझाएँ

वर्ष 2020 के लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक और सर्वव्यापक व्यवस्था हेतु एक-एक संकल्प सुझाएँ और जो अच्छे लगें उनको अपनाएं।

अंधेरे में टकराना क्षम्य है। मगर उजाले में टकराना अपराध है।

अंधेरे में टकराना क्षम्य है। मगर उजाले में टकराना अपराध है। जब तक ज्ञात नहीं था, हम भी जयकारे लगाते थे। मगर अब सिर्फ जोहार। यद्यपि राम-राम सा बोलने में कोई परहेज नहीं, क्योंकि जेहनी जहरखुरानी के शिकारियों की भी पहचान होती जा रही है।-आ. ताऊ।-29.12.2019

भारत में न तो कोई शूद्र है और न हीं मनुस्मृति लागू है।

भारत में न तो कोई शूद्र है और न हीं मनुस्मृति लागू है।-[देखें अनुच्छेद 13-1]-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा

जैसा कि मैंने अपनी मूल पोस्ट में लिखा है कि ''न मैं, न मेरे पूर्वज शूद्र थे। वर्तमान में तो कोई भी शूद्र नहीं है। [देखें अनुच्छेद 13-1] शूद्र असंवैधानिक और अपमानकारी संबोधन है।''

एक मित्र का कहना है कि कि ''भागवत हमे शूद्र साबित करने पे पड़ा हुआ है।''

एक अन्य मित्र का कहना है कि ''रामायण पढ़ लेना सब पता चल जायेगा।''

मुझे नहीं लगता कि संविधान पर रामायण या मनुस्मृति भारी हैं। देश रामायण या मनुस्मृति से नहीं, बल्कि संविधान से चलता है और संविधान के मुताबिक ऐसी सभी रामायण या मनुस्मृतियां जो किसी इंसान को शूद्र सिद्ध करें असंवैधानिक तथा कानून की नजर में शून्य हैं। क्या रामायण या मनुस्मृति के प्रावधानों को भारत में संविधान के उपबन्धों की भांति कानून द्वारा लागू करवाया जा सकता है? नहीं, बिल्कुल भी नहीं। फिर ऐसी बेहूदी बातों का हवाला देकर हम क्यों खुद का तथा दूसरों का समय खराब करते हैं? मुझे लगता है, इस पर विस्तार से विमर्श करने की जरूरत है।

मेरा साफ कहना है कि भागवत शूद्र नहीं कह रहा है, वह ऐसा कहेगा भी नहीं। वह इतना नासमझ या मूर्ख नहीं है, उसके पास जनबल, धनबल और बाहुबल तीनों भौतिक ताकतें हैं। इन तीनों ताकतों को संचालित करने हेतु बुद्धिबल भी है। सबसे बड़ी बात अब तो सत्ता भी है। जिसके बल पर वह आसानी से बिकने वाले वंचित समुदाय के बहरूपियों को खरीद सकता है और खरीदता भी रहा है। खरीदने का मतलब रुपयों से ही खरीदना नहीं होता है। तब ही तो बेशक कुछ मित्रों को बुरा लग सकता है, मगर असल में हमें यानी इस देश के 85 फीसदी वंचितों को शूद्र सिद्ध करने में संघ के छद्म मित्र तथा इस देश के संविधान के असली दुश्मन बसपाई और बामसेफी दिनरात लगे हुए हैं। सबसे दु:खद तो यह है कि ऐसे लोग अपने आप को अम्बेड़करवादी भी कहते हैं। अम्बेड़कर के कंधों पर बैठकर अपनी कारिस्तानियों को छिपा रहे हैं। ऐसे लोग संविधान, अम्बेड़कर और सामाजिक सौहार्द के भी असली दुश्मन हैं।

हमें हवा में गोली दागने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें उन बातों तथा लोगों पर भी विचार करना चाहिये, जिनके जरिये 70 साल से भारत के वंचितों को लगातार ऐसे ढोंगी लोगों द्वारा गुमराह किया जाता रहा है। क्या कारण है कि संविधान लागू होने से पहले भारत में लागू आधी-अधूरी, मनुवादी व्यवस्था (आधी अधूरी इसलिये, क्योंंकि संविधान लागू होने से पहले भारत के बड़े हिस्से पर अंग्रेजी कानून लागू था तथा आदिवासियों पर अंग्रेजों या बामणों की मनुवादी व्यवस्था लागू नहीं थी) जब संविधान का अनुच्छेद 13 (1) लागू होते ही एक झटके में शून्य और असंवैधानिक धोषित हो गयी, उसके बावजूद भी इन बसपाई, बामसेफी छद्म संघियों या अम्बेड़कर के दुश्मन, ढोंगी अम्बेड़करवादियों का एक भी भाषण मनुस्मृति का नाम लिये बिना और देश की 85 फीसदी आबादी को शूद्र घोषित किये बिना मुक्कमल/सम्पूर्ण नहीं होता है?

समय आ रहा है, जब वंचित समुदायों की मसीहाईगिरी करने वाले इन ढोंगी बहरूपियों को वंचितों द्वारा ऐसे दुत्कारा जायेगा, जैसे दूध से मक्खी फेंकी जाती है। अत: वंचित समुदाय के सभी अच्छे और सच्चे लोगों को अपने विवेक का उपयोग करने की आदत डालनी होगी। भारत में न तो कोई शूद्र है और न हीं रामायण या मनुस्मृति लागू है। यह देश संविधान से संचालित होता है, लेकिन संविधान तथा अम्बेड़कर की दुहाई देने वाले ही अम्बेड़कर के संघर्ष तथा संविधान की गरिमा को पलीता लगा रहे हैं। ऐसे लोगों से दूरी बनाना ही, इनसे बचाव का उपाय है। अन्यथा सावधानी हटी और आपके दिमांग पर इनकी शूद्रत्व वाली गुलामी घटी।

आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, 9875066111, 28.12.2019 (Between 10 to 18 Hrs.)

बी सिंह मोहचा: इनकी अपनी वही विचारधारा है, जिसमें स्थानीयता की सुगंध है।

बी सिंह मोहचा एक ऐसा जोशीला युवा जो लगातार अपने मिशन में जुटा रहता है, बेशक लोग व्यवधान पैदा करें या बाधक बनें। कभी मिला नहीं, लेकिन लगता नहीं कि अपरिचित हैं। इनकी अधिकतर पोस्ट स्थानीय मुद्दों को सम्बोधित होती हैं, जबकि इनका फेसबुक ग्रुप एक समय मीणा समुदाय का सबसे बड़ा ग्रुप हुआ करता था। इनके ग्रुप में शुरू से ही राजस्थान से बाहर के मीणा शामिल रहे हैं। इनका कार्यक्षेत्र भी राजस्थान से बाहर ही है। सम्भवतः यह इनकी बेजोड़ पहचान है।

इतने बड़े ग्रुप को संचालित करने हेतु इनके साथ सक्रिय और विश्वसनीय मित्रों की टीम है, जो इनकी प्रबंधन काबलियत का प्रमाण है। मैंने इनको कभी अहंकारी और अशिष्ट भाषा का उपयोग करते नहीं देखा। जो अपने आप में विशेष बात है। इनकी अपनी वही विचारधारा है, जिसमें स्थानीयता की सुगंध है। आंचलिकता की महक इनके लेखन और इनके ग्रुप में कभी भी महसूस की जा सकती है।
साधुवाद।-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, 9875066111, 28.12.2019.

फेसबुक मित्र भाई राजेश कोटवाल्या मीणा

अत्यंत शिष्ट, संयमित, सटीक, परिपक्व और उद्देश्यपरक लेखन तथा विवेचना करने में माहिर। सौम्य व्यक्तित्व, लेकिन स्वाभिमान के रक्षक, मध्य प्रदेश के देवास जिला निवासी फेसबुक मित्र भाई राजेश कोटवाल्या मीणा जी से मुझे भाई शशि कुमार मीणा जी ने परिचित करवाया था। जिसके लिये मैं उनका आभारी हूँ।

उम्मीद करता हूँ कि भाई कोटवाल्या जी आगे भी सस्नेह मार्गदर्शन करते रहेंगे। आपका विशेष आभार।

-आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा, 9875066111, 28.12.2019.

धनराज घुनावत

फेसबुक मित्र धनराज घुनावत जी से सम्भवतः कभी मिला था, याद नहीं, लेकिन इनको पढ़कर लगता है कि हर दिन मिलता रहता हूँ। आप साहस, संयम और सटीकता की मिशाल हैं। साधुवाद। आशा है, आपका मार्गदर्शन और स्नेह मिलता रहेगा।

वैकल्पिक मार्ग का निर्माण कर मंजिल पर पहुंचें?

यदि हमारे और मंजिल के बीच गहरी खाई खोद दी गयी है तो पहले खाई खोदने वाले से निपटें या वैकल्पिक मार्ग का निर्माण कर मंजिल पर पहुंचें?-28.12.2019

जब तक हम सिर्फ दूसरों की आलोचना ही करते रहेंगे, फिसलते और पिछड़ते रहेंगे।

जब तक हम सिर्फ दूसरों की आलोचना ही करते रहेंगे, फिसलते और पिछड़ते रहेंगे।-27.12.2019

समयानुकूल सही और सुगम रास्ते भी हमें ही बनाने होंगे।

दूसरों के बनाये रास्तों से मंजिल मिलना सम्भव हुआ होता तो हम से पहले उनको ही मंजिल मिल चुकी होती। यदि हमें अपना लक्ष्य हासिल करना है तो समयानुकूल सही और सुगम रास्ते भी हमें ही बनाने होंगे।

इनसे हमेशा सतर्क रहें।

सबसे खतरनाक लोग जो हमेशा डराते, भड़काते, उकसाते और आग लगाते हैं। जिनका दूसरा काम झूठ तथा नफरत फैलाना और अपने आका की जी हजूरी करना ही होता है। इनसे हमेशा सतर्क रहें।-27.12.2019

बामणों पर दोषारोपण करके हम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।

आजादी के बाद वंचितों के साथ हुए या हो रहे विभेद या नाइंसाफी के लिए हम वंचित ही जिम्मेदार हैं। बामणों पर दोषारोपण करके हम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।-27.12.2019

जजों के लिए ऐसी किसी परीक्षा की अनिवार्यता नहीं।

सुना है सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने हेतु वकीलों को परीक्षा पास करनी पड़ती है, लेकिन जजों के लिए ऐसी किसी परीक्षा की अनिवार्यता नहीं।-27.12.209

Padam Nareda एक ऐसा अनूठा

Padam Nareda एक ऐसा अनूठा नाम जिसके कैरियर की सुरक्षा के प्रति मैं अनायास ही चिंतित हो जाता हूँ। कारण मुझे प्रशासकों की निष्ठुरता तथा अवसरवादिता का अनुभव है। संयम बरतने की सलाह के साथ उज्ज्वल भविष्य की हृदय से कामना करता हूँ।-27.12.2019

इंसान किधर-किधर जायेगा? सबसे दुःखद-मुझे ऐसे लोग नहीं मिलते जो संविधान को जानने हेतु आमंत्रित करते हों?

संघ वाले बोलते हैं कि शाखा में तो आओ। भीम वाले भी कैडर कैम्प में बुलाते हैं। यीशू वाले भी प्रार्थना हेतु चर्च में बुलाते हैं। एसी भारत सरकार वाले भी कटाष्णा बुलाते हैं। इंसान किधर-किधर जायेगा? इंसान वहीं जायेगा, जिधर को जाने को उत्कण्ठा स्वत: या विवेक या अंतर्मन में जन्म लेगी। जिस दिन जिस किसी के भी मन में यह सब होगा, अपने आप उधर का कारवां बनेगा। सबसे दुःखद-मुझे ऐसे लोग नहीं मिलते जो संविधान को जानने हेतु आमंत्रित करते हों?
आदिवासी ताऊ डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
9875066111, 28.12.2019.

कितने लोगों को किस किस का प्रूफ दोगे?


कितने लोगों को किस किस का प्रूफ दोगे? सच्चे, अच्छे और सद्भावी लोग कभी सबूत नहीं मांगते। क्या आपने मुझ से मेरी किसी बात का सबूत मांगा?

एक समय था जब लोग मुझ से पूछते थे कि नौकरियों तथा शिक्षा का आरक्षण स्थायी है, इसका सबूत दो? मेरा जवाब था कि संविधान स्थायी है, इसका सबूत दो?

फिर भी कोई बहुत दवाब दे तो उनको कहें कि सूचना अधिकार का उपयोग करें।-27.12.2019

जैसे आदिवासियत अंतिम सांसें गिन रही है।

हम प्रकृति पुत्र आदिवासी जब किसी के साथ अशिष्टता से पेश आते हैं तो मुझे लगता है जैसे आदिवासियत अंतिम सांसें गिन रही है। प्रकृति बहुत उदार है।-27.12.2019

आदिकिसान विचारधारा के पुरोधा अवधेश मीणा की पैनी दृष्टि तथा तथ्यपरक लेखनी का मैं कायल हूँ।

मैं आदिवासी और किसान दोनों हूँ, मगर अभी तक आदिकिसान शब्द के प्रति मुझे आत्मीयता का अहसास नहीं होता। यह अलग बात है कि आदिकिसान विचारधारा के पुरोधा अवधेश मीणा की पैनी दृष्टि तथा तथ्यपरक लेखनी का मैं कायल हूँ। साधुवाद।-आ. ताऊ, 27.12.2019

आदिवासी युवा चिंतक रामकेश हातोज

भाषागत अशुद्धियों के बावजूद और औपचारिक रूप से अधिक शिक्षित न होते हुए आदिवासी युवा चिंतक रामकेश हातोज के कमेंट्स में जो धार देखने को मिलती है, वह काबिले तारीफ और अनेक लोगों के लिये बड़ी चुनौती है। साधुवाद। -आदिवासी ताऊ, 27.12.2019

आश्चर्यजनक विद्वता

आश्चर्यजनक विद्वता: जो लोग #में और #मैं का अंतर नहीं समझते वे भी दूसरों की लेखनी में, मैं (ईगो) तलाशते हैं!-आदिवासी ताऊ 9875066111, 27.12.2019

Friday 27 December 2019

धर्म, पंथ, आस्था और विश्वास

धर्म, पंथ, आस्था और विश्वास प्रत्येक व्यक्ति का नितांत व्यक्तिगत मूल अधिकार है। (अनुच्छेद-21) अतः हमें इस बारे में नकारात्मक कमेंट करने से बचना होगा। अन्यथा खण्ड-खण्ड हो जाएंगे।-28.12.2019

आदिवासी भारत के नागरिक

मनमाने कानूनों का विरोध जरूरी है, लेकिन वर्तमान संविधान के अनुच्छेद 5 से 11 के तहत आदिवासी तो पहले से ही भारत के नागरिक हैं।-26.12.2019

Note: यह पोस्ट उन लोगों के लिए है जो आदिवासियों को गुमराह करते हैं कि आदिवासी भारत का नागरिक नहीं है।

किसी को शूद्र बनाना असंवैधानिक

शूद्र शब्द का वैधानिक अस्तित्व 26 जनवरी, 1950 को समाप्त हो गया। जो लोग इसे जिंदा बनाये हुए हैं, वे संविधान के दुश्मन हैं। अत: किसी को शूद्र कहना गाली देना है। किसी को भी शूद्र नहीं कहें, बल्कि उसे वही कहें जो वह वास्तव में है। जैसे किसान यदि जाट, मीणा, यादव, धाकड़, जूलर, कर्मी, पाटीदार आदि जो भी है, उसे वही माना और कहा जाये। अकारण किसी को शूद्र बनाना असंवैधानिक होने के साथ-साथ नासमझी और साथ ही अशिष्टता भी है।-27.12.2019

आदिवासियत अंतिम सांसें गिन रही है।

हम प्रकृति पुत्र आदिवासी जब किसी के साथ अशिष्टता से पेश आते हैं तो मुझे लगता है जैसे आदिवासियत अंतिम सांसें गिन रही है। प्रकृति बहुत उदार है।-27.12.2019

Thursday 26 December 2019

जियो और जिंदादिली से जियो

मित्रो, डर भगायें और जिंदा होने का अहसास जगायें। मौत तो एक दिन सबको आनी ही है। जियो और जिंदादिली से जियो। जोहार!-26.12.2019

डस्टबिन की शोभा बढाने वाली विचारधारा की मंजिल किधर है?

डस्टबिन दफ्तर में रहती है, लेकिन डस्टबिन का कचरा किधर जाता है? डस्टबिन की शोभा बढाने वाली विचारधारा के अंधभक्त समझें उनके विचारों की मंजिल किधर है?-25.12.2019

क्या हम SC-ST-OBC कभी एक हो सकते हैं?

SC वाले बोलते हैं, ST हमारे साथ नहीं। SC-ST बोलते हैं, OBC हमारे साथ नहीं। OBC वाले बोलते हैं, SC-ST के लोग OBC के साथ नहीं। इस तरह क्या हम कभी एक हो सकते हैं?

घटिया लोगों को सत्ता पर काबिज होने का रास्ता भी तो संविधान ने ही खोला है!

बात इतनी सी नहीं है कि सत्ता पर घटिया लोगों का कब्जा है, जिन्होंने संविधान को निष्क्रिय बना डाला, बल्कि इन लोगों को सत्ता पर काबिज होने का रास्ता भी तो संविधान ने ही खोला है!-25.12.2019

विवादास्पद मुद्दे हमें कभी एक नहीं होने देंगे।

क्या यह सम्भव नहीं कि संयुक्त विचारधारा हेतु हम केवल उन्हीं मुद्दों को प्राथमिकता दें, जिन पर आमराय है, क्योंकि विवादास्पद मुद्दे हमें कभी एक नहीं होने देंगे।-25.12.2019

एक जिंदा नारी, सब पर भारी!

एक जिंदा नारी, सब पर भारी!
क्या 5000 में से कोई नारी है?
25.12.2019

Wednesday 25 December 2019

सत्ताधारी पार्टी के सांसदों के सामने क्या हाल होता होगा?

नवोदित छोटी सी पार्टी के हारे हुए सांसद प्रत्याशियों के सामने आम लोगों की जबान को जंग लग जाती है, तो सत्ताधारी पार्टी के सांसदों के सामने क्या हाल होता होगा? फिर भी बात करते हैं कि यह देश हमारा है। हम इस देश के मूलवासी हैं!-MOST VOICE, 25.12.2019

सर्वाधिक बुद्धिमान और लोकनायक

यदि 4-5 लाख लोग किसी को ट्यूटर पर फॉलो करने लग जाएं तो क्या ऐसा व्यक्ति सर्वाधिक बुद्धिमान और लोकनायक हो जाएगा?-MOST VOICE, 13.12.2019

जब तक भ्रष्ट MP, MLA और लोक सेवक सम्मानित होते रहेंगे, आम लोगों को इंसाफ मिलना असम्भव है!

जब तक भ्रष्ट MP, MLA और लोक सेवक सम्मानित होते रहेंगे, आम लोगों को इंसाफ मिलना असम्भव है!
- MOST VOICE, 13.12.2019

आम लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल कर लो-कोई नहीं बोलने वाला

नया ज्ञान: हर एरिया के कुछ आम लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल कर लो, फिर अरबों-खरबों के घोटाले करो, कोई नहीं बोलने वाला!
MOST VOICE, 131219

बेशक जिनकी सांस चल रही है, वे अभी तक मृतक नहीं, लेकिन क्या वाकयी सबके सब जिंदा हैं?

बेशक जिनकी सांस चल रही है, वे अभी तक मृतक नहीं, लेकिन क्या वाकयी सबके सब जिंदा हैं?-आदिवासी ताऊ, 13.12.19

Mr आरक्षित क्लास one तुमको MP बनने के सपने देखने का वाकयी हक है। अपने ही वर्ग के दर्जनों ग्रुप D को नौकरी से जो निकाल चुके हो!

Mr आरक्षित क्लास one तुमको MP बनने के सपने देखने का वाकयी हक है। अपने ही वर्ग के दर्जनों ग्रुप D को नौकरी से जो निकाल चुके हो!

मोदी सरकार और उसके अंधभक्त अर्थव्यवस्था को समझते नहीं या समझना नहीं चाहते? दोनों ही स्थिति खतरनाक हैं!

मोदी सरकार और उसके अंधभक्त अर्थव्यवस्था को समझते नहीं या समझना नहीं चाहते? दोनों ही स्थिति खतरनाक हैं!-MOST VOICE, 14.12.2019

10 जिंदा लोगों की तलाश

मुझे केवल 10 जिंदा लोगों की तलाश है, उसके बाद हम बताएँगे कि वंचितों की असली समस्या कौन हैं और उनसे कैसे निपटें?-9875066111, 14.12.2019
https://www.facebook.com/NirankushWriter/posts/987037088322722

क्या यही संवैधानिक लोकतंत्र है?

न्यायालय नागपुर की भाषा बोलने लगें और नागरिक प्रतिनिधि चुप्पी साधे रहें, क्या यही संवैधानिक लोकतंत्र है? आदिवासी ताऊ-MOST VOICE, 18.12.2019

वास्तविक जनांदोलन हो गया तो?

बहुत छोटे से जनांदोलन से ही कोर्ट संविधान की धज्जियां उड़ाने वाली सरकार के पक्ष में खड़ा हो गया! वास्तविक जनांदोलन हो गया तो?-MV-18.12.2019

हम वंचितों ने ही फासिस्ट ताकतों को मजबूत बनाने के आत्मघाती प्रयास किये हैं!

वर्तमान हालातों के लिये हम ही सर्वाधिक जिम्मेदार हैं! हम वंचितों ने ही फासिस्ट ताकतों को मजबूत बनाने के आत्मघाती प्रयास किये हैं!-18.12.2019

FB, ट्यूटर, यूट्यूब के इंडियन दफ्तरों में भी श्रृेष्ठ देशभक्तों का ही कब्जा

विशेष सूचना: सतर्क रहें-प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ FB, ट्यूटर, यूट्यूब के इंडियन दफ्तरों में भी श्रृेष्ठ देशभक्तों का ही कब्जा है!-18.12.-2019

डरे हुए लोगों का बहुमत, मृत लोगों में भी जान फूंक देता है।

डरे हुए लोगों का बहुमत, मृत लोगों में भी जान फूंक देता है।-18.12.2019

क्या हम गत 70 सालों में वंचितों का बेड़ा गर्क करने वाले सर्वश्रेष्ठ 7 वंचितों के नाम

क्या हम गत 70 सालों में वंचितों का बेड़ा गर्क करने वाले सर्वश्रेष्ठ 7 वंचितों के नाम सार्वजनिक करने का खतरा उठाने का साहस दिखा सकते हैं?-18.12.2019

हक पाने की प्रथम पात्रता-सही एवं सटीक सवाल पूछने की समझ और साहस

:हक पाने की प्रथम पात्रता:
MP एवं MLA से सार्वजनिक रूप से सही एवं सटीक सवाल पूछने की समझ और साहस पैदा करें।-MOST VOICE-22.12.2019

संघी ज्ञान: प्रथम और अंतिम आक्रांता तो देशभक्त लेकिन मुसलमान विदेशी और देशद्रोही!

संघी ज्ञान: प्रथम और अंतिम आक्रांता तो देशभक्त लेकिन मुसलमान विदेशी और देशद्रोही!-MOST VOICE, 22.12.2019

सावरकरी संघी माफी वीरों और मोशाभक्तों की अनदेखी ही सबसे बड़ी सजा है!

सावरकरी संघी माफी वीरों और मोशाभक्तों की अनदेखी ही सबसे बड़ी सजा है!-MOST VOICE, 23.12.2019

समान नागरिक संहिता विधेयक लाया जाता है तो सबसे अधिक नुकसान आदिवासियों को होगा

वाकयी समान नागरिक संहिता विधेयक लाया जाता है तो सबसे अधिक नुकसान आदिवासियों को होगा। जिसे संघी-मोशाभक्त नहीं समझ सकते।-23.12.2019

मानसिक गुलामों को देश से अधिक मुस्लिम विरोध प्रिय

विदेशी मूल के लोगों की संतान या उनकी जेहनी जहरखुरानी के शिकार मानसिक गुलामों को देश से अधिक मुस्लिम विरोध प्रिय है।-23.12.2019

सोशल मीडिया ने शिष्टता समाप्त कर दी है

सोशल मीडिया ने शिष्टता समाप्त कर दी है। अतः अशिष्ट को बर्दाश्त नहीं करें और तुरन्त ब्लॉक करें। क्या यही एक विकल्प बचा है?-23.12.2019

भाजपा का हारना मात्र पर्याप्त नहीं है

भाजपा का हारना मात्र पर्याप्त नहीं है, मजबूत लोकतांत्रिक ऐसा विकल्प भी जरूरी है, जो देश के MOST के हक दिला सके।-MOST VOICE, 23.12.2019

राजकुमारों और चमचों को नवाब बनाने वाली कांग्रेस को भी अपनी गिरेबान में झांकना होगा।

राजकुमारों और चमचों को नवाब बनाने वाली कांग्रेस को भी अपनी गिरेबान में झांकना होगा। अन्यथा सत्ता से दूर रहना ही अच्छा है।-23.12.-2019

है कोई पार्टी जो खरी उतरती हो?

सबसे पहले होगी संविधान की रक्षा।
उसके बाद ही पार्टियों की समीक्षा।।
है कोई पार्टी जो खरी उतरती हो?
23.12.2019

अब संविधान की बात करनी होगी

जब तक हम मनुवाद को दुश्मन बताते रहेंगे, कभी सफल नहीं हो सकते। मनुवाद नहीं, अब संविधान की बात करनी होगी।-23.12.2019

संयुक्त विचार व संयुक्त नेतृत्व

माया-मेश्राम ही सही विकल्प होते तो 70 साल बर्बाद नहीं हुए होते। बिना इनसे मुक्ति मिले, संयुक्त विचार व संयुक्त नेतृत्व संभव नहीं।-24.12.2019

अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना

जो माया-मेश्राम संगठन तक में MOST को वाजिब हिस्सेदारी नहीं दे सकते, उनसे MOST को इंसाफ की उम्मीद? अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है!-24.12.2019

MOST को हिस्सेदारी और भागीदारी देने हेतु क्या कोई योजना है?

MOST को हिस्सेदारी और भागीदारी देने हेतु INC, APP, BJP, BSP, SP, BTP, JD, LJP, NCP, शिवसेना आदि पार्टियों के पास क्या कोई योजना है?

क्या MOST के Rt. भ्रष्ट ऑफीसर MOST का भला कर सकते हैं? देशभर में कोई एक भी उदाहरण हो तो जनता के सामने लाया जाना जरूरी है।

क्या MOST के Rt. भ्रष्ट ऑफीसर MOST का भला कर सकते हैं? देशभर में कोई एक भी उदाहरण हो तो जनता के सामने लाया जाना जरूरी है।-24.12.2019

नेता क्या वंचितों के हितचिंतक हैं?

10% आर्थिक आरक्षण पर जो डांस करते हैं। पद्मावती और पानीपत फिल्मों की कथा के विरुद्ध जिनकी बाहें फड़कती हैं, ऐसे नेता क्या वंचितों के हितचिंतक हैं?-24.12.2019

MOST का हक और BTP

MOST का हक कांग्रेस ने दिया नहीं और भाजपा देना नहीं चाहती। बसपा, भाजपा की शाखा ही है। पता करें, BTP भी राज्यसभा चुनावों में अपना वोट किसे और किन शर्तों पर देती रही है?-24.12.2019

जोहार से पहले जय क्यों?-जोहार में जय शामिल है!

जिनके अंतर्मन में जयकारा लगाना सुस्थापित हो चुका, उनका जय बोले बिना खाना नहीं पचता। अन्यथा जोहार से पहले जय क्यों?-जोहार में जय शामिल है!-24.12.2019

जो कौम लोकनायक का मतलब तक नहीं समझती

जो कौम लोकनायक का मतलब तक नहीं समझती, उसे इंसाफ तो दूर सच्चा, समर्पित तथा वफादार नेतृत्व मिलना ही मुश्किल है?-MOST VOICE, 24.12.2019

वरिष्ठम होने से क्या कोई श्रेष्ठतम हो सकता है?

केवल वरिष्ठम होने से क्या कोई श्रेष्ठतम हो सकता है? यदि हाँ तो बुजुर्गों को स्वीकारो, नहीं तो फिर श्रेष्ठता का पैमाना फिर से निर्धारित करो।-MOST VOICE, 24.12.2019

झारखण्ड एक और लोकतांत्रिक हथोड़ा

झारखण्ड एक और लोकतांत्रिक हथोड़ा है, मोशा तथा मोशाभक्तों को सत्ता की खुमारी से जगाने और देश के मिजाज को समझने के लिये।
-MOST VOICE

अभी भी MOST माया-मेश्राम से मुक्त नहीं हुए तो देश की सत्ता पर कांग्रेस का पुनरोदय तय है!

मोशा BJP किला ढह रहा है, अभी भी MOST माया-मेश्राम से मुक्त नहीं हुए तो देश की सत्ता पर कांग्रेस का पुनरोदय तय है!
-MOST VOICE

BTP के राजनीतिक चरित्र का पैमाना

BTP के राजनीतिक चरित्र का पैमाना: BTP ने गुजरात से राज्यसभा चुनावों में अपना वोट किस पार्टी को क्यों और किन शर्तों पर दिया था?_MV

INC-BJP से मुक्ति के बाद मतदाता किधर जाये? यह बहुत जरूरी और सबसे बड़ी चुनौती है?

INC-BJP से मुक्ति के बाद मतदाता किधर जाये? यह बहुत जरूरी और सबसे बड़ी चुनौती है?
-NC-HRD (MOST VOICE), 9875066111, 24.12.19

BTP हाई कमान राज्यसभा में BJP को जिताये और RJ सरकार में अपने MLA को आदिवासी समिति में शामिल करवाना चाहे! कैसे संभव है?

BTP हाई कमान राज्यसभा में BJP को जिताये और RJ सरकार में अपने MLA को आदिवासी समिति में शामिल करवाना चाहे! कैसे संभव है?
-MOST VOICE, 24.12.2019

बहस: लक्ष्य-हार/जीत। विमर्श: लक्ष्य समाधान।

बहस: लक्ष्य-हार/जीत। विमर्श: लक्ष्य समाधान। अत: बहस करके मुझे हराने वालों को, बिना बहस विजेता स्वीकारता हूं। विमर्श हेतु स्वागत।-24.12.2019

समझौता नीतिगत होना चाहिये।

बड़े दलों से छोटे दल समझौता करते रहे हैं। मगर सिर्फ पद या धन ही समझौते के मूलाधार होते हैं। जबकि समझौता नीतिगत होना चाहिये।

संघ के अदृश्य PM शाह, मोदी से अधिक ताकतवर

ध्यान दें-संघ के अदृश्य PM शाह, मोदी से अधिक ताकतवर हो चुके हैं। यही BJP की कमजोरी भी है। अब वंचितों/MOST को एक होकर मौके का फायदा उठाना होगा।-MOST VOICE

वंचितों की दुर्दशा का एक बड़ा कारण

वंचितों की दुर्दशा का एक बड़ा कारण जो वंचित राजनीतिक पद प्राप्त कर लेते हैं, उन्हें लगता है कि उनके सिवा शेष सब लोग मूर्ख हैं।_MV, 24.12.2019

सार्वजनिक विमर्श

सार्वजनिक विमर्श में व्यक्तिगत टिप्पणी/छींटाकशी करने वाले पहले संवाद विधा की प्राथमिक शाला में प्रवेश लें, तब यहां एडमीशन हेतु रिक्वेस्ट करें। अन्यथा रेस्टीकेशन मजबूरी है।-24.12.2019

सवाल: प्रतिनिधि या दलाधिपति

जिनको सवाल पूछने से ही तिलमिलाहट होने लगे और अंधभक्तों की फौज से अपना गुणगान करवाएं ऐसे प्रतिनिधि या दलाधिपति किसके हितैषी?-24.12.2019

नेतृत्व में पारदर्शी उदारता

यदि नेतृत्व में पारदर्शी उदारता नहीं तो वह नेतृत्व नाकारा है!-
Dr. PL Meena, NC-HRD
9875066111, 24.12.2019

अवसर की असमानता असंवैधानिक है, लेकिन

अवसर की असमानता असंवैधानिक है, लेकिन यह 70 साल बाद भी बदस्तूर जारी है, क्योंकि संविधान का उल्लंघन करने पर किसी की कोई सजा नहीं होती। दोष किसका है?-MOST VOICE, 9875066111, 25.12.2019

अपने हकों को हासिल करने की बात की जाये।

क्या हिंदुत्व या मनुवाद या बामणों को कोसने या गाली देने से वंचितों को संवैधानिक हक मिल सकते हैं? 1956 से जारी यह मूर्खता बन्द हो तथा अपने हकों को हासिल करने की बात की जाये।-MOST VOICE, 25.12.2019

वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा

वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते और बदलते रहते हैं। सबसे पहले ...