हम सीखते कम और नकल अधिक करते हैं। जिनकी नकल करते हैं, उन्होंने भी किसी की नकल की हुई होती है। हमें मौलिकता को समझने की समझ पैदा करनी होगी। अन्यथा 70 साल से जारी भेड़चाल के साथ मनगढ़ंत शूद्रत्व के अंधकूप में गिरेंगे और मरेंगे।
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वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा
वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते और बदलते रहते हैं। सबसे पहले ...
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जीवन का अंतिम लक्ष्य आनंद नहीं, अपितु सम्पूर्णता है। -आदिवासी ताऊ-05.01.2020, 8561955619
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आम लोगों का हक मारकर करोड़ों जमा करो और कुछ लोगों के लिये कुछ हजार अनुदान करो, क्या यह भी 'पे बैक टू सोसायटी' है? 05.01.2020
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