Thursday 14 May 2020

वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा

वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा
समुदाय की दशा और दिशा





हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते और बदलते रहते हैं।



सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि मैं जो कुछ आज बोलने जा रहा हूं, जरूरी नहीं वो अंतिम सत्य हो? हो सकता है कि आज जो बोल रहा हूं, कल उसे मैं खुद ही अस्वीकार कर दूं। अत: आप मेरी किसी भी बात को अंतिम सत्य नहीं मानें



इसकी भी वजह है!

  • इंसान के अनुभव, ज्ञान और विज्ञान का जैसे-जैसे विस्तार होता है, वह लगातार सीखता है और अपनी पुरानी धारणाओं का खंडन करता है या उनमें सुधार करता रहता है।
  • मेरी राय में कोई भी यह नहीं कह सकता कि वह जो बोल रहा या कह रहा है, वही अंतिम सत्य है।



हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते और बदलते रहते हैं।



  • हजारों सालों से कुछ भ्रामक और गलत धारणाओं के साथ जीवन जीते हुए हम भूल ही जाते हैं कि वह असत्य है। अचानक हमारे सामने जब सत्य प्रकट होता है, तो हम उसे सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते। अनेक बार हम सत्य को स्वीकार ही नहीं पाते और संस्कृति, धर्म, देश, माहौल, रूढियों, परम्पराओं आदि किसी न किसी बहाने सत्य को दबाने की भरसक कोशिश करते हैं, लेकिन सत्य को कोई दबा नहीं सकता है।



सत्य को तो प्रकट होना ही होता है।



  • समय और हालातों के मुताबिक हमार सत्य भी बदलता रहता है।
  • मेरे कहने का अभिप्राय यह है कि हमें किसी भी विचार के साथ इसलिये नहीं चिपके रहने चाहिये कि वह हमारा या हमारे पूर्वजों का विचार है।
  • हकीकत हम चिपकते भी नहीं हैं, लेकिन जहां हमारा निजी या राजनीतिक हित पूरा होता है, वहां हमें कुछ बातों से चिपका कर रखे जाने के लिये कुछ समाज सेवक, संगठन, नेता, राजनेता या धर्माधीश ऐसी बातों से चिपकार रखना चाहते हैं। क्योंकि इसमें उनका निजी स्वार्थ निहित होता है।
  • हम मीणा भी परिवर्तन के चक्र से अलग नहीं हैं। जब सारी दुनिया बदल रही है तो हम बिना बदले कैसे रह सकते हैं?
  • अत: आज आपके सामने मैं जो कुछ बोलने जा रहा हूं, उसमें कुछ बातें ऐसी हो सकती हैं, जो मेरे पुराने वक्तव्यों से मेल नहीं खायेंगी।
  • हो सकता है कि आज जो बोलूंगा, 5 या 10 साल बाद जो बोलूंगा, वह कुछ भिन्न हो।
  • सुनने वाले को यह विरोधाभाष लग सकता है, लेकिन हकीकत में विरोधाभाष है नहीं। मेरे आज के वक्तव्य के अंत में आप इस बारे में मुझ से सवाल पूछ सकते हैं।
मुझे लगता है कि आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा को समझने के लिये हमें कुछ मौलिक बातों पर ध्यान केन्द्रित करके उनको ठीक से समझना होगा। जिनमें बहुत सी बातें हो सकती हैं, मगर आज कुछ पहलुओं पर चर्चा करेंगे। जैसे-
  1. क्या मीणा भारत के मूलवासियों के वंशज हैं?
  2. क्या भारत के मूलवासी ही आदिवासी कहलाते हैं?
  3. क्या संविधान लागू होने से पहले मीणाओं को आदिवासी दर्जा हासिल था?
  4. क्या संविधानसभा में आदिवासियों को ही अजजा सूची में शामिल करने पर सहमति बनी थी?
  5. संविधानसभा में आदिवासियों को ही अजजा सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया?
  6. आदिवासियों को ही अजजा सूची में शामिल करने का विरोध क्यों किया गया?
  7. क्या वास्तव में अजजा की सूची में केवल आदिवासियों को ही शामिल किया गया था और है?
  8. आर्यों के आगमन से पहले भारत के आदिवासियों का धर्म क्या था?
  9. मीणाओं ने कब-कब, कौन-कौन सा धर्म स्वीकार किया?
  10. क्या हम मीणा दलित हैं?
  11. आरक्षण व्यवस्था क्या है? और आदिवासियों को आरक्षण कैसे मिला?
  12. आदिवासियों को आरक्षण दिलाने में किसका योगदान था और कौन विरोध में था?
  13. क्या मीणा शूद्र हैं?
  14. क्या मीणा सवर्ण हैं?
  15. मीणाओं को आरक्षण कैसे और किनके प्रयासों से मिला?
  16. मीणा समुदाय और आरक्षण के परिणाम।
  17. क्रीमी लेयर व्यवस्था जरूरी या गैर जरूरी।
नया सीखने हेतु सबसे पहले हमें अपने मन के ब्लैक बोर्ड को साफ करना होगा।

  • मेरा विनम्र आग्रह है कि इन सभी सवालों पर मंथन करने या सही उत्तर जानने से पहले हमें अपने मन के ब्लैक बोर्ड को साफ करना होगा।
  • जो कुछ हमारे मस्तिष्क पर पहले से जमा है, जब तक उसको साफ करके हम नयी इबारत लिखने हेतु जगह नहीं बनायेंगे, बोर्ड पर लिखा हुआ समझना बहुत मुश्किल है।
  • इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि आप जो जानते हैं, वह सब गलत है और उसे अपने मन से हमेशा को हटा दें। मैं ऐसी हिमाकत नहीं कर सकता।
  • मेरा सिर्फ इतना सा निवेदन है कि जब तक मुझे सुनें अपने मन को पूर्वाग्रहों से मुक्त कर लें। सुनने के बाद फिर अपने आप से पूछें और चिंतन करें, जो स्वीकारने योग्य हो उसे स्वीकारें। शेष को मन से निकाल कर फेंक दें।

हम मीणाओं से जुड़े उपरोक्त सवालों के जवाब तलाशने से पहले कुछ मूलभूत बातों पर चर्चा कर लेते हैं!

सबसे जरूरी बात कोई भी फेसबुक ग्रुप सीक्रेट नहीं है।
  • -जैसा कि मैंने एक इमेज पोस्ट डालकर बताया था कि राष्ट्रीय आदिवासी मीना संघ-(RAMS) ग्रुप में गैर मीणा तथा गैर आदिवासी लोग शामिल हैं। जो तीन लोगों के नाम की इमेज पोस्ट मैंने पेश की लोग वे क्रमश: 2016, 2017 और 2020 से ग्रुप में शामिल होकर इस ग्रुप पर निगरानी रखे हुए थे।
  • इनके अलावा भी इस ग्रुप में अजा, ओबीसी और अनारक्षित वर्गों के लोग इस ग्रुप में शामिल हैं।
  • अत: हम सबको इस बात को ठीक से समझना होगा कि इस ग्रुप के या किसी भी फेसबुक ग्रुप के प्राइवेट या सीक्रेट ग्रुप होने का कोई अर्थ नहीं हैं।
  • इसलिये पहला निवेदन: संवाद करते समय हमें इस बात को ध्यान में रखना चाहिये। हमें पूरी सजगता से संवाद करना चाहिये।
क्या हम किसी आपराधिक षडयंत्र के बारे में कोई चर्चा करते हैं?
  • -मुझे नहीं लगता कि हम किसी भी ग्रुप में किसी पार्टी, कौम या धर्म के विरुद्ध किसी आपराधिक षडयंत्र के बारे में कोई चर्चा करते हैं। न ही हमें ऐसी कोई चर्चा करनी चाहिये। क्योंकि ऐसा करना अपराध है। अत: संविधान के दायरे में रहकर खुलकर बात करनी चाहिये।

अंतत: हमें संसद का समर्थन हासिल करना:
  • अंतत: हमें हमारी समस्याओं के लोकतांत्रिक और संवैधानिक समाधान हेतु हमारी संसद का रुख करना होता है। हम जानते हैं कि संसद में सभी समुदायों, धर्मों और दलों के लोग होते हैं, जिनके सामने अपनी बात रखकर और उन्हें सहमत करके ही हम संसद का समर्थन हासिल कर सकते हैं। ऐसे में गुप्त मंत्रणाओं का कोई औचित्य नहीं है।

लोक सेवक आचरण संहिता से बंधे होते हैं:
  • केवल इस ग्रुप में ही नहीं, बल्कि सभी अन्य ग्रुप्स में  शामिल सदस्यों में और सोशल मीडिया पर सक्रिय अधिकतर लोग किसी न किसी सरकारी विभाग में लोक सेवक हैं। जो आचारण संहिता से बंधे हुए हैं। ऐसे में उनके द्वारा राजनीतिक दलों के नाम को लेकर विमर्श करना या असंगत बातें लिखना मेरी राय में उनके हित में नहीं है। इसके बावजूद हमारे लोग मानते नहीं हैं और जब उनके खिलाफ कार्यवाही होती है तो सरकार या मनुवादियों को कोसते हैं। यह दोहरा चरित्र आत्मघाती है।

मीणा समुदाय की दशा और दिशा पर चर्चा करने से पहले कुछ और भी बातें समझनी होंगी।

हमारे चिंतन का विषय किसी प्रदेश या क्षेत्र तक सीमित नहीं हो सकता।
  • जैसे हम भारत के किसी एक जिले, राज्य या किसी क्षेत्र विशेष में नहीं रहते हैं, बल्कि वर्तमान में सम्पूर्ण भारत में निवास करते हैं। तकरीबन देश के हर राज्य में हम सेवा दे रहे हैं। कुछ ऐतिहासिक कारणों से भी हमारे समुदाय के लाखों लोग अन्य राज्यों में निवास करते हैं! अत: हमारे चिंतन का विषय किसी प्रदेश या क्षेत्र तक सीमित नहीं हो सकता।
यहाँ मैं बताना चाहता हूँ कि-
  • भारत में 706 जनजातियों में से हम एक जनजाति हैं।
  • भारत में 706 जनजातियों का अस्तित्व मात्र 7-8 फीसदी है।
  • सभी 706 जनजातियां भी एकजुट नहीं हैं। जिसके भी अपने-अपने कारण हैं।
  • सभी 706 जनजातियां भारत के आदिवासियों की वंशज नहीं हैं।
  • अर्थात जनजातियों की सूची में गैर-आदिवासी जातियों को शामिल किया हुआ है!
  • भारत के आदिवासी जो वास्तव में भारत के मूलवासी हैं-वर्तमान में उनमें से अधिसंख्य किसी न किसी धर्म के अनुयाई हैं। जिनमें से अधिकांश हिंदू धर्म में शामिल हैं। कुछ मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि धर्मों में शामिल हैं। मगर हैं सब आदिवासियों के वंशज।
  • आदिवासियों के विभिन्न धर्मों में शामिल होने का अपना-अपना इतिहास रहा है।
  • कुछ लोग आदिवासियों के लिये पृथक धर्म की मांग कर रहे हैं। जिनमें 10 महिने पहले तक मैं भी शामिल था। मैं भी भ्रमित हो गया था।
  • हमारी भटकन का मूल कारण है-जुमलेबाजी और जुमलेबाज।

भारत में जुमलेबाज कौन है? सारे लोग एक स्वर में एक शख्स और पार्टी का नाम लेते हैं। मगर यह पूरा सच नहीं है। हकीकत में हम सब जुमलेबाज हैं। विश्वास नहीं है तो जानिये-
  • 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता'-जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है, वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
  • -'यत्र जामयः शोचन्ति तत् कुलम् आशु विनश्यति, यत्र तु एताः न शोचन्ति तत् हि सर्वदा वर्धते।'-जिस कुल में स्त्रियाँ कष्ट भोगती हैं ,वह कुल शीघ्र ही नष्ट हो जाता है और जहाँ स्त्रियाँ प्रसन्न रहती है वह कुल सदैव फलता फूलता और समृद्ध रहता है । (परिवार की पुत्रियों, बधुओं, नवविवाहिताओं आदि जैसे निकट संबंधिनियों को ‘जामि’ कहा गया है ।)
  • 'हिन्दी—चीनी भाई—भाई'
  • 'हिंदू—मुस्लिम भाई—भाई' इस जुमले की स्थापना हेतु —'ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम सबको सन्मति दे भगवान' गाया और गवाया गया।
  • 'विद्या की देवी सरस्वती'
  • 'गरीबी हटाओ' का नारा!
  • 'इंदिरा इंज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा'
  • 'आरक्षण हटाओ, देश बचाओ'
  • 'मनुवादी भगाओ, देश बचाओ'
  • 'मनुवाद मुक्त भारत'
  • 'सारे हिंदू एक समान।'
  • 'तिलक-तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार'-कुछ समय बाद यह जुमला बदल गया—'हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा-विष्णू-महेश है।'
  • 'कांग्रेस का हाथ, गरीब के साथ'
  • भजपा के सत्ता में आने पर-'हर भारतीय को 15-15 लाख मिलेंगे।'
  • 'आर्यवर्त भारत', 'हिंदुस्तान' और 'हिंदुस्थान'
  • 'राष्ट्रपिता महात्मागांधी'
  • 'संविधान निर्माता -बाबा साहब अम्बेड़कर'- 'संविधान सभा'की प्रथम बैठक 09 दिसंबर 1946 को हुई! "प्रारूप समिति"(ड्राफ्टिंग कोमिटी) जिसका गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था। संविधान सभा को 04 नवम्बर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश कर दिया। अंततः 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अपनाया (Adapt)गया और 26 जनवरी 1950 को संविधान पूर्णतया लागू (Enact) कर दिया गया।
  • 'उदारवाद'
  • 'वैश्वीकरण'
  • 'कांग्रेस मुक्त भारत'
  • 'सबका साथ, सबका विकास'
  • 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास'
  • 'मैं आदिवासी हूं। 2021 की जनगणना में मेरा धर्म है-आदिवासी।'
  • 'एक तीर, एक निशान, सारे आदिवासी एक समान'
  • मीणा उवाच—'शूद्र नहीं हम, क्षत्रिय हैं'
  • 'जय हिंद', जयश्रीराम, जयभीम, जयमीनेश, जयमूलनिवासी, जयआदिवासी, जयमाताजी। नमो-नमो, नमोबुद्धाय'
  • सबसे बड़ा जुमला तो संविधान का अनुच्छेद 14 है जो कहता है कि-
'कानून के सामने सबको समान समझा जायेगा और सभी को कानून का समान संरक्षण प्रदान किया जायेगा'
  • क्या इस देश में एक जैसी शिक्षा, एक जैसा उपचार और एक जैसा सम्मान मिलता है?
  • क्या किसी देशभक्त राजनीति दल, सामाजिक या सांस्कृतिक संगठन ने कभी राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठायी?
  • आरक्षण भी एक जुमला ही है। आरक्षण का मकसद नौकरी देना या करोपति बनाना कभी नहीं था। बल्कि मूल मकसद तो वंचित वर्गों का सशक्त प्रतिनिधित्व की स्थापना था। क्या वह 70 साल में स्थापित हो पाया?
  • सबसे घातक जुमला है 'जो हिंदू नहीं, वो पाकिस्तान चला जाये।'
कभी सोचा, कभी विचार किया कि इन जुमलों के पीछे कौन है? इसका जवाब जानने के बाद सिर्फ देश बचेगा जुमलेबाज भागते फिरेंगे, लेकिन हम देश बचाने के नाम पर जुमलेबाजों को बचाने में लगे हुए हैं।

अब हम एक-एक सवाल पर चर्चा करते हैं?

  1. क्या मीणा भारत के मूलवासियों के वंशज हैं?—हां
  2. क्या भारत के मूलवासी ही आदिवासी कहलाते हैं?—हां
  3. क्या संविधान लागू होने से पहले मीणाओं को आदिवासी दर्जा हासिल था?—हां
  4. क्या संविधानसभा में आदिवासियों को ही अजजा सूची में शामिल करने पर सहमति बनी थी?—नहीं
  5. संविधानसभा में आदिवासियों को ही अजजा सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया?—अम्बेड़कर के विरोध के कारण।
  6. अम्बेड़कर ने विरोध क्यों किया?—इसका वास्तविक जवाब तो उन्हीं को ज्ञात था। मैं कुछ साक्ष्यों और पिरिस्थितियों के मुताबिक जवाब दे सकता हूं। जरूरी नहीं मेरा जवाब सही हो। अम्बेड़कर ब्राह्मणों के हाथ की कठपुतली थे। जो उनसे कहा जा रहा था, वही वे कर रहे थे।
  7. क्या वास्तव में अजजा की सूची में केवल आदिवासियों को ही शामिल किया गया था और है?
  8. आर्यों के आगमन से पहले भारत के आदिवासियों का धर्म क्या था?—ऐतिहासिक जवाब जानने हेतु आचार्य चतुरसेन का उपन्याय वयं रक्षाम: पढें।
  9. राक्षस: जहॉं तक राक्षस शब्द की उत्पत्ति का सवाल है तो आचार्य चुतरसेन द्वारा लिखित महानतम ऐतिहासिक औपन्यासिक कृति ‘वयं रक्षाम:’ और उसके खण्ड दो में प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों पर गौर करें तो आर्यों के आक्रमणों से अपने कबीलों की सुरक्षा के लिये भारत के मूलवासियों द्वारा हर एक कबीले में बलिष्ठ यौद्धाओं को वहॉं के निवासियों को ‘रक्षकों’ के रूप में नियुक्ति किया गया। ‘रक्षक समूह’ को ‘रक्षक दल’ कहा गया और रक्षकों पर निर्भर अनार्यों की संस्कृति को ‘रक्ष संस्कृति’ का नाम दिया गया। यही रक्ष संस्कृति कालान्तर में आर्यों द्वारा ‘रक्ष संस्कृति’ से ‘राक्षस प्रजाति’ बना दी गयी।
  10. मीन?: इतिहासकारों का मत है कि आर्यों के भारत में आगमन से पूर्व यहॉं के मूलवासी यानी आदिवासियों का भारत के जनपदों (राज्यों) पर सम्पूर्ण स्वामित्व, अधिपत्य और शासन था। इन्हीं जनपदों में मछली के भौगोलिक आकार का एक मतस्य नामक जनपद भी बताया जाता है, जिसके ध्वज में मतस्य अर्थात् मछली अंकित होती थी-मीणा उसी जनपद के कबीले वंशज हैं। चालाक आर्यों द्वारा मीणाओं को विष्णू के मतस्य अवतार का वंशज घोषित करके आर्यों में शामिल करने का षड़यंत्र रचा गया और पिछले चार दशकों में जगह-जगह मीन भगवान के मन्दिरों की स्थापना करवा दी। जिससे कि मीणाओं का आदिवासी स्वाभिमान चकनाचूर करके उन्हें आर्यवंशी घोषित किया जा सके। जिसमें एक सीमा तक वे सफल भी हुए।
  11. मीणाओं ने कब-कब, कौन कौन सा धर्म स्वीकार किया?-अन्य धर्मों को स्वीकारे जाने की तारीखें तो मुझे ज्ञात नहीं, लेकिन अंग्रेजों द्वारा अंतिम बार करवायी गयी जनगणना में मीणा हिंदू धर्म में नहीं गिने गये थे। और 1951 में जनगणना से पहले आदिवासी शब्द को संविधान से डिलीट कर दिया गया था। अत: देश के तकरीबन समस्त आदिवासियों को हिंदू धर्म में गणना की गयी। तब से आधिकारिक तौर पर मीणा हिंदू हो गये। जैसे पिछले 4 दशक में मीणा मीनवंशी बना दिये हैं। ठीक वैसे ही आदिवासी हिंदू बना दिये गये।
  12. क्या हम मीणा दलित हैं?
  13. आरक्षण व्यवस्था क्या है? और आदिवासियों को आरक्षण कैसे मिला?
  14. आदिवासियों को आरक्षण दिलाने में किसका योगदान था और कौन विरोध में था?
  15. क्या मीणा शूद्र हैं?
  16. क्या मीणा सवर्ण हैं?
  17. मीणाओं को आरक्षण कैसे और किनके प्रयासों से मिला?
  18. मीणा समुदाय और आरक्षण के परिणाम।
  19. क्रीमी लेयर व्यवस्था जरूरी या गैर जरूरी।
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वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा

वर्तमान परिदृश्य में आदिवासी मीणा समुदाय की दशा और दिशा हम हर दिन कुछ न कुछ सीखते और बदलते रहते हैं। सबसे पहले ...